लेखनी कविता - दयारे-गै़र में सोज़े-वतन की आँच न पूछ - फ़िराक़ गोरखपुरी

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दयारे-गै़र में सोज़े-वतन की आँच न पूछ / फ़िराक़ गोरखपुरी दयारे-गै़र1 में सोज़े-वतन की आँच न पूछ ख़जाँ में सुब्हे-बहारे-चमन की आँच न पूछ फ़ज़ा है दहकी हुई रक्‍़स में है ...

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